श्रीगायत्री का ध्यान और गायत्री कवच का वर्णन —-
नारदजी ने पूछा —– स्वामिन! आप जगत के स्वामी, चौसठ कलाओं को जानने वाले तथा योगवेत्ताओं में श्रेष्ठ हैं। प्रभो! मेरे मन में यह प्रश्न उत्पन्न हो रहा है कि किस पुण्य के प्रभाव से मनुष्य पापों से छुट सकते हैं और उनके ब्रह्मरूप होने का क्या उपाय है तथा उनका देह देवरूप एवं विशेषतया मन्त्र्रुप हो जाय, इसका क्या साधन है। यह सब मैं सुनना चाहता हूँ। प्रभो! इसी के साथ उसके न्यास, विधि, ऋषि, छंद अधिदेवता तथा ध्यान का भी विधिवत वर्णन सुनने के मेरी इच्छा है। ——
साभार : गीता प्रेस, गोरखपुर
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